त्रिया चरित्र Munshi Premchand द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ होम किताबें हिंदी किताबें लघुकथा किताबें त्रिया चरित्र त्रिया चरित्र Munshi Premchand द्वारा हिंदी लघुकथा (16) 4.1k 12.5k एक रोज शाम के वक्त चम्पा किसी काम से बाजार गई हुई थी और मगनदास हमेशा की तरह चारपाई पर पड़ा सपने देख रहा था रम्भा अद्भूत कहता के साथ आ कर उसके सामने खड़ी हो गई ...और पढ़ेभोला चेहरा कमल की तरह खिला हुआ था और आँखों से सहानुभुति का भाव झलक रहा था मगनदास ने पहले तो उसकी और आश्चर्य और फिर प्रेम की निगाहों से देखा और दिल पर जोर डाल कर बोला, आओ रम्भा तुम्हें देखने को बहुत दिन से आंखे तरस रही थी रम्भा ने भोलेपन से कहा मैं यहां न आती तो तुम मुझसे कभी न बोलते मगनदास का हौंसला बढ़ा और वो बोला... कम पढ़ें पढ़ें पूरी कहानी सुनो मोबाईल पर डाऊनलोड करें अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी उपन्यास प्रकरण हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी કંઈપણ Munshi Premchand फॉलो