इस कहानी में विभिन्न रोचक तथ्य प्रस्तुत किए गए हैं: 1. **डॉ. राजेंद्र प्रसाद का बैंक खाता**: भारत के पहले राष्ट्रपति, डॉ. राजेंद्र प्रसाद के बैंक खाते में केवल 1432 रुपये थे, जो उनकी ईमानदारी का प्रतीक है। यह खाता पिछले 50 वर्षों से सम्मान के साथ चालू है। 2. **अनुग्रह नारायण रोड घाट रेलवे स्टेशन**: यह रेलवे स्टेशन साल में केवल 15 दिनों के लिए कार्य करता है, विशेषकर पितृपक्ष के दौरान, जब लोग अपने पूर्वजों के लिए पिंडदान करते हैं। 3. **रेलवे यातायात**: एक सुस्त रेलगाड़ी की चर्चा की गई है, जो बहुत धीमी गति से चलती है और मैनलेस गेट्स के कारण चालक को रुकने में कठिनाई होती है। 4. **लंबी और कम दूरी की रेलगाड़ी**: एक अन्य रेलगाड़ी की चर्चा की गई है जो 76 घंटे में यात्रा करती है। 5. **दिल्ली की वेश्याएं**: दिल्ली की जी बी रोड की वेश्याएं एक पुरानी मजार पर दुआ मांगने आती हैं, जिसका इतिहास मुगलकाल से जुड़ा है। यह जगह उनके लिए अगली जिंदगी में अच्छे फल की उम्मीद का प्रतीक है। 6. **बिना दुकानदार की दुकानें**: मिजोरम के एंजल में बिना दुकानदार के दुकानों का एक अनूठा कॉन्सेप्ट है, जहां सैकड़ों बिना दुकानदार की दुकानें हैं। ये विभिन्न पहलू भारतीय समाज और संस्कृति की विविधता को दर्शाते हैं। अगल बगल चंचल Anami Sharan Babal द्वारा हिंदी पत्रिका 1.1k 2.4k Downloads 9.7k Views Writen by Anami Sharan Babal Category पत्रिका पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें विवरण अगर किसी देश के राष्ट्र्पति की कुल पूंजी केवल रू. १४३२रूपए की हो सकती है। मगर भारत के पहले राष्ट्रपति डा. राजेन्द्र प्रसाद के बैंक में बस्स इतनी ही नगदी थी। यह खाता किसी और का नहीं बल्कि हमारे देश के प्रथम राष्ट्र्पति डा. राजेन्द्र प्रसाद जी का है। यह बचत खाता संख्या ३०६८, पंजाब नेशनल बैंक, एग्ज़ीबिशन रोड, पटना में है। जिसे बैंक ने डेड काता करने की बजाय गौरवपूर्ण याद के रूप में पिछले 50 वर्षों से चालू रखा है यह छोटी सी जमा राशि दर्शाती है कि राजेन्द्र बाबू कितने ईमानदार थे। बैंक द्वारा इस खाते को राजेन्द्र बाबू के निधन के बाद भी उनके सम्मान-स्वरूप बंद नहीं किया गया है. वैसे भी उनके परिवार के किसी सदस्य ने दावा भी नहीं किया”। बैंक ने २६ जून, २००७ को इस खाते की सार्वजनिक घोषणा की थी। More Likes This इतना तो चलता है - 3 द्वारा Komal Mehta जब पहाड़ रो पड़े - 1 द्वारा DHIRENDRA SINGH BISHT DHiR कल्पतरु - ज्ञान की छाया - 1 द्वारा संदीप सिंह (ईशू) नव कलेंडर वर्ष-2025 - भाग 1 द्वारा nand lal mani tripathi कुछ तो मिलेगा? द्वारा Ashish आओ कुछ पाए हम द्वारा Ashish जरूरी था - 2 द्वारा Komal Mehta अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी फिक्शन कहानी हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी हिंदी क्राइम कहानी