तूम थे पर मेरे ना थे - 1 book and story is written by shikha in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. तूम थे पर मेरे ना थे - 1 is also popular in Love Stories in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story. तूम थे पर मेरे ना थे - 1 shikha द्वारा हिंदी प्रेम कथाएँ 1 765 Downloads 2.3k Views Writen by shikha Category प्रेम कथाएँ पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें विवरण विवान सिंह राठौड़, एक ऐसा नाम जिससे दुनिया कांपती थी, आज अपने दादाजी के सामने खड़ा था। हमेशा शांत और मजबूत दिखने वाला वो शख्स आज थोड़ा बेचैन था।दादाजी ने गहरी आवाज़ में कहा —"विवान, अब तुझे शादी करनी ही होगी। अगर तूने शादी नहीं की तो मैं तुझे अपनी सारी प्रॉपर्टी से बेदखल कर दूंगा। और वो सब कुछ संजय के बेटे सुमित के नाम कर दूंगा। सोच ले क्या करना है... तेरे पास सिर्फ़ एक हफ्ते का वक्त है।"विवान बिना कुछ कहे, बस उन्हें देखता रहा। फिर वह धीमे कदमों से वहां से निकल गया — जैसे किसी More Likes This Mission Love - 1 द्वारा Sugreev Singh उस रात वो सिर्फ़ मेरी थी - 1 द्वारा abhay pandit Vampire - My Protector - 2 द्वारा Pooja Singh प्रेमपत्र - 1 द्वारा Vrishali Gotkhindikar युवी और नियु की कहाँनी - 1 द्वारा krick हर सुबह स्टेशन पर मिलती थी वो… पर एक दिन कुछ ऐसा कहा कि सब बदल गया - 2 द्वारा Rishabh Sharma राधे ..... प्रेम की अंगुठी दास्तां - 6 द्वारा Soni shakya अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी फिक्शन कहानी हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी हिंदी क्राइम कहानी