Bandhan Pyar ka - 41 book and story is written by किशनलाल शर्मा in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Bandhan Pyar ka - 41 is also popular in Fiction Stories in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
बन्धन प्यार का - 41
Kishanlal Sharma
द्वारा
हिंदी फिक्शन कहानी
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विवरण
औऱ रात धीरे धीरे ढल रही थी।और फिर फेरो का समय हो गया था।फेरे हंसी मजाक और रात भर सेसेउ भोर होने से पहले कोमल विदा होकर चली गयी थी।सब थके हारे थे।उस दिन सब विश्राम करते रहे।अगले दिन कांता, नरेश से बोली,"बहु को जबलपुर तो घुमा दो।""हां मौसीऔर नरेश, हिना को लेकर चल दिया हिना बोली कहां चलोगे"जबलपुर में घूमने की बहुत जगह है।आज हम धुहाँ धार और भेड़ाघाट चलेंगेऔर नरेश ने टेक्सी कर ली थी।नरेश, हिना को नर्मदा नदी के बारे में बता रहा था।"क्या तुम पहले आ चुके हो"दो बार म।मम्मी के साथ।सब देख चुके हैं।औऱ टेक्सी
नरेश से आकर एक युवती टकरायी तो उसके हाथ से बेग गिर गया।नरेश बेग उठाने को झुका तो वह युवती भी झुकते हुए बोली,"सॉरी।"
"नो मेंशन।आल राइट
वह...
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