Sanyasi - 32 book and story is written by Saroj Verma in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Sanyasi - 32 is also popular in Classic Stories in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
सन्यासी -- भाग - 32
Saroj Verma
द्वारा
हिंदी क्लासिक कहानियां
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विवरण
तब जोगी बने जयन्त की बात सुनकर चन्द्रविजय बोला...."ये सब क्या कह रहे हो तुम,मुझे इसकी कोई पीठ नहीं देखनी,जाओ और अभी से काम पर लग जाओ""जी! मालिक!"जयन्त बोला...फिर दोनों अपनी जगह से उठने लगे तो चन्द्रविजय दोनों से बोला..."तुम्हारा ये दोस्त बिरजू गूँगा है क्या?,जब से देख रहा हूँ कि बस तुम ही तुम बोले जा रहे हो","अब का बताई मालिक! पहले ई हमार दोस्त बिरजू बहुतई हँसमुख और बातूनी रहा है,लेकिन जब से इसकी मेहरिया आई है तो तब से उसने इसका जीना दूभर कर रखा है,बेचारा रोज खून के आँसू रोता है,ऐसी चण्डालिनी मेहरिया है इसकी कि
कभी कभी इन्सान अपने जीवन से विरक्त होकर इस सांसारिक जीवन से सन्यास लेकर सन्यासी बन जाता है, लेकिन क्या वो सच में इस संसार के चक्रव्यूह से निकल पाता है...
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