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मनस्वी - भाग 8
Dr. Suryapal Singh
द्वारा
हिंदी कुछ भी
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विवरण
अनुच्छेद-आठ मैं देर से सो रही हूँ पापा ?दोपहर का समय। मनु सो गई है। चेहरा दीप्त। सुघर बड़ी आँखें बंद हैं। धनुषाकार भौंहें। सपने में वह घर पहुँच जाती है। बाबा के साथ परिसर में घूम रही है।'बाबा.....''कहो ।''कपड़ा खरीदने के लिए....।''रूपये चाहिए ?''हाँ ।''बैंक से निकाल लूँ। फिर ले लेना।'खुश हो जाती है वह ।'बाबा...।''किताब भी खरीदना है, कापियाँ भी।''खरीद लेना ।''बाबा, एक बात कहूँ।''कहो...।''घर की पुताई हो जाय तो घर अच्छा लगेगा।''पुताई हो जाय?''हाँ बाबा।''बरसात के बाद ।''ठीक है। बाबा रूपया कम हो तो बाहर बाहर ही
'मनस्वी' एक शोकगाथा है एक करुण उपन्यासिका (Elegiac Novelette) । शोकगीत लिखने की परम्परा अँग्रेजी, पर्शियन, उर्दू में अधिक रही है। शोकगीत किसी...
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