Mere Sakha, Mere Ram book and story is written by Dev Srivastava in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Mere Sakha, Mere Ram is also popular in Poems in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story. मेरे सखा, मेरे राम Dev Srivastava Divyam द्वारा हिंदी कविता 1 279 Downloads 957 Views Writen by Dev Srivastava Divyam Category कविता पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें विवरण बैठा था मैं आंखें मूंद,भजन करता अपने राम लला का ।विश्वास न हुआ इन आंखों पर,जब साक्षात चेहरा दिखा उनका ।बैठे थे वो आकर सामने,सिर पर मेरे हाथ था उनका ।मैं बस ताक रहा था उनको,होकर के बिलकुल अवाक सा ।देख मुझको ऐसे तब,सखा मेरा मुस्करा उठा ।लेकर हाथों को मेरे हाथों में अपने,वो मुझसे यूं बोल पड़ा ।क्या मित्र, नाराज हो क्या,क्या नहीं हुई, तुमको प्रसन्नता !भूल गए क्या उस दिन को जब,तुमने की थी मुझसे मित्रता !जब मेरे इन कानों को,मधुर वाणी ने उनकी छुआ ।तब जाकर मैं पगला था,वापस अपने होश में लौटा ।मर्यादा का पालन करते More Likes This मी आणि माझे अहसास - 98 द्वारा Darshita Babubhai Shah लड़के कभी रोते नहीं द्वारा Dev Srivastava Divyam जीवन सरिता नोंन - १ द्वारा बेदराम प्रजापति "मनमस्त" कोई नहीं आप-सा द्वारा उषा जरवाल कविता संग्रह द्वारा Kaushik Dave मेरे शब्दों का संगम द्वारा DINESH KUMAR KEER हाल ए दिल द्वारा DINESH KUMAR KEER अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी फिक्शन कहानी हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी हिंदी क्राइम कहानी