Dwaraavati - 65 book and story is written by Vrajesh Shashikant Dave in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Dwaraavati - 65 is also popular in Classic Stories in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story. द्वारावती - 65 Vrajesh Shashikant Dave द्वारा हिंदी क्लासिक कहानियां Writen by Vrajesh Shashikant Dave Category क्लासिक कहानियां पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें विवरण 65 “ओह, यह कथा है गुल से पंडित गुल बनने की?” गुल की कथा देख, स्तब्धता में उत्सव बोल पडा।“एक अबोध कन्या की जीवन यात्रा ! जिसने उसे पंडित गुल बना दिया। इस यात्रा को देखते देखते रात्रि व्यतीत हो गई। ब्राह्म मुहूर्त प्रारम्भ हो चुका है।मैं इस प्रवाह में इतना प्रवाहित था कि मुझे समय का संज्ञान ही नहीं रहा। समय जैसे एक नदी हो और मैं उसमें स्नान करता रहा। इसमें डुबकी लगाने पर मैं निर्मल हो गया हूँ। गुल, तुम्हारा यह Novels द्वारावती उस क्षण जो उद्विग्न मन से भरे थे उस में एक था अरबी समुद्र, दूसरा था पिछली रात्रि का चन्द्र और तीसरा था एक युवक। समुद्र इतना अशांत था कि वह अपने अस्... More Likes This कहानी फ्रेंडशिप की - 1 द्वारा Shahid Raza मीरा प्रेम का अर्थ - 3 - माधव की मीरा द्वारा sunita maurya द्वारावती - 41 द्वारा Vrajesh Shashikant Dave तमस ज्योति - 1 द्वारा Dr. Pruthvi Gohel इंद्रप्रस्थ - 2 द्वारा Shakti रेत होते रिश्ते - भाग 1 द्वारा Prabodh Kumar Govil व्रत - 1 द्वारा Sonali Rawat अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी फिक्शन कहानी हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी हिंदी क्राइम कहानी