Ravi ki Laharen - 18 book and story is written by Sureshbabu Mishra in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Ravi ki Laharen - 18 is also popular in Fiction Stories in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
रावी की लहरें - भाग 18
Sureshbabu Mishra
द्वारा
हिंदी फिक्शन कहानी
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विवरण
आखिरी सफर नगरपालिका की घड़ी ने टन - टन कर चार घंटे बजाए थे । चार बज गए, रमेश हड़बड़ा कर उठकर बैठ गया । वह शौच आदि से निपटने चला गया। रमेश लौट कर आया तो उसने देखा कि अनवर अभी तक सोया पड़ा है। रमेश अनवर को झिंझोड़ते हुए बोला - 'जल्दी उठो अनवर, चार बज गये हैं। अगर बारामूला जाने वाली पाँच बजे की बस निकल गई तो दिन छिपने से पहले गाँव पहुँचना मुश्किल हो जायेगा । अनवर कुछ देर तक अलसाया सा पड़ा रहा, फिर जमुहाई लेते हुए उठ खड़ा हुआ। अभी तक उस
‘जीवन संघर्ष और उत्कट जिजीविषा से जुडी हैं संग्रह की कहानियां’
मानव जीवन और उसके कार्य व्यवहार सदा ही अनंत कौतुक - कौतूहलों व जिज्ञासाओं का केंद्र...
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