Munshiram bana Sharaddhanand - 2 book and story is written by Choudhary SAchin Rosha in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Munshiram bana Sharaddhanand - 2 is also popular in Drama in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
मुन्शीराम बना श्रद्धानंद - भाग 2
Choudhary SAchin Rosha
द्वारा
हिंदी नाटक
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विवरण
हम भले ही रुक जाये परन्तु समय , समय तो अपनी निश्चित गति से विचरण कर रहा है बिना थके, बिना रुके। । । पर्दा उठता है ।।धीरे–धीरे मंच पर प्रकाश होता है। किशोर मुंशीराम और नानकचन्द जी बाईं ओर से प्रवेश करते हैं। दोनों ही घर में रखी वस्तुओं को कभी उधर रख रहे हैं, कभी इधर। नानकचंद जी एक कोने में चादर बिछाकर उस पर कुछ खाने–पीने की सामग्री लाकर रख देते हैं तथा फिर अन्य कार्यों में जुट जाते हैं। वृद्ध संन्यासी/गुरुजी : (पर्दे के पीछे से) हम भले ही रुक जाए परंतु समय, समय तो अपनी
गुरुकुल का दृश्य : (संध्या का समय) दो विद्यार्थी कृपाल व विभु दाईं ओर से किसी विषय पर चर्चा करते हुए आ रहे है। और उनमें से कृपालके हाथ में एक पुस्तक ह...
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