Sabaa - 30 book and story is written by Prabodh Kumar Govil in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Sabaa - 30 is also popular in Philosophy in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
सबा - 30
Prabodh Kumar Govil
द्वारा
हिंदी मनोविज्ञान
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विवरण
- ये कैसे हो सकता है? बिजली लगभग चिल्ला पड़ी। - कैसे हुआ, ये कहानी तो सिर्फ़ तुम बता सकती हो, मैं तो बस इतना कह सकती हूं कि ऐसा हो गया है। अभी भी वक्त है अगर तुम संभालना चाहो। न चाहो तो ये भी तुम्हारी प्रॉब्लम है। - मगर... - अगर मगर तुम जानो। हां, अगर किसी मदद की ज़रूरत पड़े तो मुझे बता देना। कह कर गुस्से में लगभग पैर पटकती हुई डॉक्टर भीतर अपने चैंबर की ओर चली गईं। वे अभी भी इस बात को लेकर अपमानित सा महसूस कर रही थीं कि उन्होंने किसी पेशेंट
तेरी पगार कितनी है?
- तीन हज़ार!
- महीने के?
- और नहीं तो क्या, रोज़ के तीन हज़ार कौन देगा रे मुझको?
- ऐसा मत बोल, दे भी देगा! उसने कनखियों से लड़...
- तीन हज़ार!
- महीने के?
- और नहीं तो क्या, रोज़ के तीन हज़ार कौन देगा रे मुझको?
- ऐसा मत बोल, दे भी देगा! उसने कनखियों से लड़...
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