Sath Zindgi Bhar ka - 64 book and story is written by Khushbu Pal in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Sath Zindgi Bhar ka - 64 is also popular in Love Stories in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
साथ जिंदगी भर का - भाग 64
Khushbu Pal
द्वारा
हिंदी प्रेम कथाएँ
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विवरण
आस्था तैयार होकर नीचे आ गई थी और अपने आप सारी नजरें उसकी तरफ मुड़ गई थी हर कोई उसके लुक का कायल होकर उसकी और ही देख रहा था लेकिन आस्था की नजरों को उसकी मंजिल अभी तक नहीं मिली थी रूद्र दा कुंवर जी अभी तक नहीं आए आस्था ने नाराज होते हुए कहा सारा और श्रावणी को उस की बेसब्री पर हंसी आ रही थी डॉल हमें नहीं पता था तुम इतनी देशपो टाइप की हो थोड़ा तो इंतजार करो सारा आप यार सारा आस्था ने चढ़ते हुए कहा पहले ही उसे सबकी अपने ऊपर की नजरें
" कुँवरजी । प्लीज हमे दूर मत किजीये । वो आखों मे बेशुमार आसूँ लिये , उसके हाथ को थामे हुये कह रही थी|
आपको जाना होंगा , और ये हमारा लास्ट डिसीज...
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