Hanuman Prasad Poddar ji - 34 book and story is written by Shrishti Kelkar in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Hanuman Prasad Poddar ji - 34 is also popular in Biography in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
हनुमान प्रसाद पोद्दार जी (श्रीभाई जी) - 34
Shrishti Kelkar
द्वारा
हिंदी जीवनी
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विवरण
[श्रीभाईजी के शब्दों में]“ प्रातःस्मरणीय पूज्यपाद महामना श्रीमालवीयजी से मेरा परिचय लगभग सन् 1906 से था। उस समय मैं कलकत्तेमें रहता था। वे जब-जब पधारते, तब-तब मैं उनके दर्शन करता। मुझपर आरम्भ से अन्त तक उनकी परम कृपा रही और वह उत्तरोत्तर बढ़ती ही गयी। उनके साथ कुटुम्ब-सा सम्बन्ध हो गया था। वे मुझको अपना एक पुत्र समझने लगे और मैं उन्हें परम आदरणीय पिताजी से भी बढ़कर मानता। इस नाते मैं उन्हें "पण्डितजी" न कहकर सदा "बाबूजी" ही कहता। घर की सारी बातें वे मुझसे कहते। कुछ समय तो मैं उनके बहुत ही निकट-सम्पर्कमें रहा, इसलिये मुझको उन्हें बहुत
दिव्य जीवन की एक झलक
हमारा सौभाग्य है कि हमारी वसुन्धरा कभी संतों से विरहित नहीं रही। संतों की चेष्टायें साधन काल में भी एवं सिद्धावस्था में भी विभिन...
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