Mere Ajnabi Humsafar - 2 book and story is written by दिनेश कुमार in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Mere Ajnabi Humsafar - 2 is also popular in Anything in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
मेरे अजनबी हमसफ़र - भाग 2
DINESH KUMAR KEER
द्वारा
हिंदी कुछ भी
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विवरण
मेरे अजनबी हमसफ़र (भाग-2) जिंदगी की राह में सिलसिले कुछ अजीब रहे ,अनजान रास्ते ,अनजाने से मोड़, अजनबी हमसफ़र, अजनबी सी दौड़, अनकहे रिश्ते, अनकही सी होड़, सफर तो फर्ज़ के दरवाजे पे जाके सुलझा है ,अजनबी हमसफ़र का हर अल्फ उलझा है , उसने अपना पता लिखा वह पता मेरे शहर से तीन सौ किलोमीटर के फासले पर था । मैं रात भर सोचता रहा कि सुबह तो उनके पास जाना ही है चाहे तूफान क्यों ना आ जाये ,मन मे अजनबी सफर से मिलने की लालसा रात भर जगी रही कि रात के दो बज गए, सोचते सोचते
पूरा पढ़ना न भूलें :- यह एक काल्पनिक कहानी है इसका वास्तविक जीवन से कोई वास्ता नहीं।
वह ट्रेन के आरक्षण की बोगी में बाथरूम के तरफ वाली सीट पर बैठी थ...
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