चिरयुवा बूटी - 4 Brijmohan sharma द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ होम किताबें हिंदी किताबें लघुकथा किताबें चिरयुवा बूटी - 4 चिरयुवा बूटी - 4 Brijmohan sharma द्वारा हिंदी लघुकथा 366 903 (4) ‘चोरी का माल मोरी मे’ सुबह मोहन नींद से जागा | हिमालय की वादियों में खिलती धूप को देखकर वह बड़ा प्रसन्न हुआ । चारों और लम्बे लम्बे देवदार के वृक्ष व नीचे बहती अलकनंदा नदी बड़ी ही ...और पढ़ेलग रही थी । रात को बरसात होने से चारों ओर धरती गीली थी । मानवता के हित के लिए चुराए अपने बूटियों के खजाने को देखने मोहन पास के कमरे में गया । किन्तु यह क्या ! अपने बूटियों से भरे थैले को न देखकर वह स्तब्ध रह गया । उसने कमरे का एक एक कोना छान मारा किन्तु कम पढ़ें पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें चिरयुवा बूटी - 4 चिरयुवा बूटी - उपन्यास Brijmohan sharma द्वारा हिंदी - लघुकथा 2.7k 6.4k Free Novels by Brijmohan sharma अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी फिक्शन कहानी हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी Brijmohan sharma फॉलो