गीता से श्री कृष्ण के 555 जीवन सूत्र - भाग 95 Dr Yogendra Kumar Pandey द्वारा प्रेरक कथा में हिंदी पीडीएफ होम किताबें हिंदी किताबें प्रेरक कथा किताबें गीता से श्री कृष्ण के 555 जीवन सूत्र - भाग 95 गीता से श्री कृष्ण के 555 जीवन सूत्र - भाग 95 Dr Yogendra Kumar Pandey द्वारा हिंदी प्रेरक कथा 240 645 जीवन सूत्र 176 ईश्वर को कर्म नहीं बांधते, उनसे लें प्रेरणागीता में भगवान श्री कृष्ण ने कहा है: -न मां कर्माणि लिम्पन्ति न मे कर्मफले स्पृहा।इति मां योऽभिजानाति कर्मभिर्न स बध्यते।।4/14।।इसका अर्थ है,हे अर्जुन!कर्म के फलों को प्राप्त करने ...और पढ़ेभोगने की मेरी इच्छा नहीं है।यही कारण है कि ये कर्म मुझे लिप्त नहीं करते। इस प्रकार मुझे जो(वास्तविक स्वरूप में)जानता है, वह भी कर्मों से नहीं बंधता है।जीवन सूत्र 177 आसक्ति और कर्तापन का त्याग कर्मों में तल्लीनता हेतु आवश्यक वास्तव में ईश्वर सभी तरह के द्वंद्वों से परे हैं।सभी तरह के कारण- कार्यों के स्रोत होने के कारण कम पढ़ें पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें गीता से श्री कृष्ण के 555 जीवन सूत्र - भाग 95 गीता से श्री कृष्ण के 555 जीवन सूत्र - उपन्यास Dr Yogendra Kumar Pandey द्वारा हिंदी - प्रेरक कथा (334) 81.2k 176.4k Free Novels by Dr Yogendra Kumar Pandey अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी फिक्शन कहानी हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी Dr Yogendra Kumar Pandey फॉलो