Ramayan - Chapter - 2 - Part 22 book and story is written by Matrubharti in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Ramayan - Chapter - 2 - Part 22 is also popular in Spiritual Stories in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story. रामायण - अध्याय 2 - अयोध्याकांड - भाग 22 MB (Official) द्वारा हिंदी आध्यात्मिक कथा 912 Downloads 2.1k Views Writen by MB (Official) Category आध्यात्मिक कथा पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें विवरण (22) श्री राम-भरत संवाददोहा : * राम सपथ सुनि मुनि जनकु सकुचे सभा समेत।सकल बिलोकत भरत मुखु बनइ न ऊतरु देत॥296॥ भावार्थ:-श्री रामचन्द्रजी की शपथ सुनकर सभा समेत मुनि और जनकजी सकुचा गए (स्तम्भित रह गए)। किसी से उत्तर देते नहीं बनता, सब लोग भरतजी का मुँह ताक रहे हैं॥296॥ चौपाई : * सभा सकुच बस भरत निहारी। राम बंधु धरि धीरजु भारी॥कुसमउ देखि सनेहु सँभारा। बढ़त बिंधि जिमि घटज निवारा॥1॥ भावार्थ:-भरतजी ने सभा को संकोच के वश देखा। रामबंधु (भरतजी) ने बड़ा भारी धीरज धरकर और कुसमय देखकर अपने (उमड़ते हुए) प्रेम को संभाला, जैसे बढ़ते हुए विन्ध्याचल को अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी फिक्शन कहानी हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी हिंदी क्राइम कहानी