रामायण - अध्याय 2 - अयोध्याकांड - भाग 4 MB (Official) द्वारा आध्यात्मिक कथा में हिंदी पीडीएफ होम किताबें हिंदी किताबें आध्यात्मिक कथा किताबें रामायण - अध्याय 2 - अयोध्याकांड - भाग 4 रामायण - अध्याय 2 - अयोध्याकांड - भाग 4 MB (Official) द्वारा हिंदी आध्यात्मिक कथा 366 999 (4) श्री राम-कैकेयी संवाद* करुनामय मृदु राम सुभाऊ। प्रथम दीख दुखु सुना न काऊ॥तदपि धीर धरि समउ बिचारी। पूँछी मधुर बचन महतारी॥2॥ भावार्थ:-श्री रामचन्द्रजी का स्वभाव कोमल और करुणामय है। उन्होंने (अपने जीवन में) पहली बार यह दुःख देखा, ...और पढ़ेपहले कभी उन्होंने दुःख सुना भी न था। तो भी समय का विचार करके हृदय में धीरज धरकर उन्होंने मीठे वचनों से माता कैकेयी से पूछा-॥2॥ * मोहि कहु मातु तात दुख कारन। करिअ जतन जेहिं होइ निवारन॥सुनहु राम सबु कारनु एहू। राजहि तुम्ह पर बहुत सनेहू॥3॥ भावार्थ:-हे माता! मुझे पिताजी के दुःख का कारण कहो, ताकि उसका निवारण हो कम पढ़ें पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें रामायण - अध्याय 2 - अयोध्याकांड - भाग 4 रामायण - उपन्यास MB (Official) द्वारा हिंदी - आध्यात्मिक कथा (185) 35k 80k Free Novels by MB (Official) अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी फिक्शन कहानी हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी MB (Official) फॉलो