कुलक्षणी Chaya Agarwal द्वारा सामाजिक कहानियां में हिंदी पीडीएफ होम किताबें हिंदी किताबें सामाजिक कहानियां किताबें कुलक्षणी कुलक्षणी Chaya Agarwal द्वारा हिंदी सामाजिक कहानियां 858 2.3k कुलक्षणीनौबत ने आखरी जूता लोहे की रांपी पर चढ़ाया और तरकीब से फटे हुये हिस्से को सुई से सीने लगा। उसके अनुभवी हाथों से जूता निबट कर अपने मालिक की राह देख ही रहा था कि शाम का छुटपुटा ...और पढ़ेलगा, चौराहे पर खड़ा सिपाही डंडा फटकारते हुये आ खड़ा हुआ और नौबत की बंद पेटी पर अपना काला मोटा जूता रख कर आगे को झुक गया नौबत ने जेब में हाथ डाल कर दो-पाँच के कई नोट निकाल कर गिने और पचास रूपये हफ्ते के उसके हाथ पर रख दिये। घर की रसोई से उसे दाल भात और बाजरे कम पढ़ें पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें कुलक्षणी अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी फिक्शन कहानी हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी Chaya Agarwal फॉलो