एक रूह की आत्मकथा - 58 Ranjana Jaiswal द्वारा मानवीय विज्ञान में हिंदी पीडीएफ होम किताबें हिंदी किताबें मानवीय विज्ञान किताबें एक रूह की आत्मकथा - 58 Ek Ruh ki Aatmkatha - 58 book and story is written by Ranjana Jaiswal in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Ek Ruh ki Aatmkatha - 58 is also popular in Human Science in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story. एक रूह की आत्मकथा - 58 Ranjana Jaiswal द्वारा हिंदी मानवीय विज्ञान 1.1k 2.6k स्वतंत्र अभी तक कोमा में था ।ब्रेन के ऑपरेशन के बाद भी उसे होश नहीं आया था। उसकी एक अंगुली भी नहीं हिली थी।वह बेंटिलेटर पर ही था।डॉक्टर उमा को दिन में तीन से चार बार उसके पास जाने ...और पढ़ेइजाज़त दे रहे थे।जाने से पहले वह अपने कपड़ों के ऊपर से ही सिर से पैर तक सिनेजाइटर किए गए प्लास्टिक ड्रेस पहनती, फिर स्वतंत्र के बेड तक जाती।वह हल्के हाथों उसके चेहरे की नारियल से सफाई करती।डॉक्टर के हिसाब से ऐसा करने से मरीज को लाभ हो सकता था ।पत्नी का जाना -पहचाना स्पर्श उसके ब्रेन को जगा सकता कम पढ़ें पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें एक रूह की आत्मकथा - 58 एक रूह की आत्मकथा - उपन्यास Ranjana Jaiswal द्वारा हिंदी मानवीय विज्ञान (193) 109k 210.6k Free Novels by Ranjana Jaiswal अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी फिक्शन कहानी हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी