Ek Ruh ki Aatmkatha - 54 book and story is written by Ranjana Jaiswal in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Ek Ruh ki Aatmkatha - 54 is also popular in Human Science in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
एक रूह की आत्मकथा - 54
Ranjana Jaiswal
द्वारा
हिंदी मानवीय विज्ञान
Four Stars
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विवरण
"पापा मैं अमी से प्यार करता हूँ।" अमन की आँखों में आँसू थे। "तो तुम्हें इस प्यार की परीक्षा देनी होगी।अमृता जल्द ही लंदन चली जाएगी।ग्रैजुशन वहीं करेगी।फिर बिजनेस कोर्स।सात वर्ष बाद ही लौटेगी।इस बीच तुम्हें उसे बिल्कुल डिस्टर्ब नहीं करना है।न तो फ़ोन न चिट्ठी। अगर सात वर्ष उससे दूर रहने के बाद भी तुम्हारा प्यार यूँ ही बरकरार रहता है तो मैं इस प्यार को अपनी स्वीकृति दे दूंगा।" समर ने दृढ़ स्वर में कहा।अमन का चेहरा उतर गया। -"पर पापा मैं इतने दिन क्या करूंगा?" "अपनी पढ़ाई पूरी करोगे फिर बिजनेस कोर्स" समर ने उसकी आँखों में
मैं कामिनी हूँ,मिस कामिनी ।हाँ,इसी नाम से दुनिया मुझे जानती है।दुनिया...विशेषकर ग्लैमर की दुनिया।जगमगाती ....चकाचौंध से भरी ग्लैमर की दुनिया।
जानती ह...
जानती ह...
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