मुँह चिढ़ाते सपने prabhat samir द्वारा सामाजिक कहानियां में हिंदी पीडीएफ होम किताबें हिंदी किताबें सामाजिक कहानियां किताबें मुँह चिढ़ाते सपने मुँह चिढ़ाते सपने prabhat samir द्वारा हिंदी सामाजिक कहानियां 810 2.2k डा.प्रभात समीर भीखा को मैंने पहली बार अलका के घर में देखा था । उसके ड्राइंगरूम में बैठी किसी पत्रिका के पृष्ठ पलटती हुई मैं उसकी प्रतीक्षा कर रही थी । ड्राइंगरूम के दायीं ओर का दरवाज़ा अलका के ...और पढ़ेकी ओर खुलता है, जहाँ से सौंधी-सौंधी सुगंध सारे घर को महकाती रहती है ।वहाँ से आती तेज़ आवाज़ से मेरा ध्यान बंटा....गाने की आवाज़, कभी धीमा, कभी तेज़ एकतरफ़ा वार्तालाप और उसमें लगातार गूँजता ’ ‘गोबिंदा’नाम। मैंने सोफ़े से उचककर पूजाघर की ओर देखा तो एक पुरुष आकृति दिखाई दी। निश्चित ही वह अलका का नौकर होगा। अलका के कम पढ़ें पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें मुँह चिढ़ाते सपने अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी फिक्शन कहानी हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी prabhat samir फॉलो