सुहागिनें--(मोहन राकेश की कहानी) Saroj Verma द्वारा महिला विशेष में हिंदी पीडीएफ होम किताबें हिंदी किताबें महिला विशेष किताबें सुहागिनें--(मोहन राकेश की कहानी) सुहागिनें--(मोहन राकेश की कहानी) Saroj Verma द्वारा हिंदी महिला विशेष 864 2.5k कमरे में दाख़िल होते ही मनोरमा चौंक गई. काशी उसकी साड़ी का पल्ला सिर पर लिए ड्रेसिंग टेबल के पास खड़ी थी. उसके होंठ लिपस्टिक से रंगे थे और चेहरे पर बेहद पाउडर पुता था, जिससे उसका सांवला चेहरा ...और पढ़ेलग रहा था. फिर भी वह मुग्धभाव से शीशे में अपना रूप निहार रही थी. मनोरमा उसे देखते ही आपे से बाहर हो गई. “माई,” उसने चिल्लाकर कहा,“यह क्या कर रही है?” काशी ने हड़बड़ाकर साड़ी का पल्ला सिर से हटा दिया और ड्रेसिंग टेबल के पास से हट गई. मनोरमा के ग़ुस्से के तेवर देखकर पल-भर तो वह सहमी कम पढ़ें पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें सुहागिनें--(मोहन राकेश की कहानी) अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी फिक्शन कहानी हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी Saroj Verma फॉलो