आख़िर मैं चुप क्यों हूँ? Rama Sharma Manavi द्वारा सामाजिक कहानियां में हिंदी पीडीएफ होम किताबें हिंदी किताबें सामाजिक कहानियां किताबें आख़िर मैं चुप क्यों हूँ? आख़िर मैं चुप क्यों हूँ? Rama Sharma Manavi द्वारा हिंदी सामाजिक कहानियां 852 2.1k बेटे ने झुँझलाकर कहा,"ओफ्फोह, माँ, आपने औऱ पापा ने अपनी जिंदगी में कितने डिसीजन सही लिए हैं, यह आप अच्छी तरह जानती हैं, इसलिए अपनी जिंदगी का फैसला मुझे ख़ुद करने दीजिए।अपने फैसलों की जवाबदेही मेरी ख़ुद की होगी,फिर ...और पढ़ेकिसी को ब्लेम तो नहीं करूँगा।आपने अपनी प्रोफेशनल शिक्षा को व्यर्थ कर दिया,घरेलू कार्यों के लिए इतनी शिक्षा की क्या आवश्यकता थी?क्या आपके साथ की लड़कियों की गृहस्थी या बच्चे सही नहीं हैं?डैड क्या अपने सपनों को घर-परिवार के कर्तव्यों के साथ पूर्ण नहीं कर सकते थे?सच बताइएगा,क्या ये सब बातें आपको परेशान नहीं करतीं।" मैं हमेशा की तरह ख़ामोश कम पढ़ें पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें आख़िर मैं चुप क्यों हूँ? अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी फिक्शन कहानी हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी Rama Sharma Manavi फॉलो