मरजानी Pushp Saini द्वारा महिला विशेष में हिंदी पीडीएफ होम किताबें हिंदी किताबें महिला विशेष किताबें मरजानी मरजानी Pushp Saini द्वारा हिंदी महिला विशेष 387 960 [ कहानी -- मरजानी ]"ऐ मरजानी ! उठ कब तक पड़ी रहेगी, जा काम पर निकल अपना यह मनहूस मुँह लेकर" ।सुबह-सुबह दादी के कटु वचन सुनकर मरजानी का माथा गर्म हो गया और हो भी क्यों न ...और पढ़ेवह उसे इंसान समझती ही कहाँ थी ।जानवरों की तरह काम लेना,दुत्कारना,फटकारना और यहाँ तक कि मारना भी ।मरजानी ने गुस्से से फुकारते हुए कहा--"कुछ पेट में दो दाने पड़ेंगे तभी शरीर भी काम करेगा न, है कुछ खाने के लिए कि नहीं " ?"है पर तेरे लिए नहीं है ।खाने के लिए भी कूड़े करकट में ही मिल जायेगा कम पढ़ें पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें मरजानी अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी उपन्यास प्रकरण हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी Pushp Saini फॉलो