पंख फैलाये उकाब Deepak sharma द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ होम किताबें हिंदी किताबें लघुकथा किताबें पंख फैलाये उकाब पंख फैलाये उकाब Deepak sharma द्वारा हिंदी लघुकथा 234 711 ’’मदर सुपीरियर ने जीवणी हरेन्द्रनाथ को बुलाया है।’’ पाँचवी जमात को को हिन्दी पढ़ा रही सिस्टर सीमोर से मैंने कहा। हमारे कान्वेन्ट में लड़कियों के नाम उनके पिता के नाम के साथ लिये जाते हैं। ’’जीवणी हरेन्द्रनाथ’’, सिस्टर सीमोर ...और पढ़ेपुकारा । ’’येस सिस्टर,’’ ऊँचे कद की एक हट्टी-कट्टी लड़की खड़ी हो ली। ’’सिस्टर ग्रिफ्रिन्स के साथ तुम जा सकती हो।’’ ’’येस सिस्टर....’’ ’’तुम्हारे पापा क्या करते हैं?’’ खुले में पहुँचते ही मैंने पूछा। मदर सुपीरियर का दफ्तर दूसरे परिसर में है जहाँ छठी से दसवीं तक की जमातें लगायी जाती हैं जबकि यह प्राइमरी सेक्शन हम सिस्टर्ज़ के कमरों कम पढ़ें पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें पंख फैलाये उकाब अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी उपन्यास प्रकरण हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी Deepak sharma फॉलो