रस्बी की चिट्ठी किंजान के नाम - 4 Prabodh Kumar Govil द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

Rasbi kee chitthee Kinzan ke naam द्वारा  Prabodh Kumar Govil in Hindi Novels
आजा, मर गया तू?
मैं बरसों से चुप हूं। कुछ नहीं बोली। बोलती भी क्या? न जाने ये सब कैसे हो गया। मैं मर ही गई।
मैं यहां परलोक में आ गई। तू वहीं रह गया...

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