नवगीत - नए अनुबंध ( पांच नवगीत) Dr Jaya Shankar Shukla द्वारा कविता में हिंदी पीडीएफ होम किताबें हिंदी किताबें कविता किताबें नवगीत - नए अनुबंध ( पांच नवगीत) Navgeet book and story is written by Dr Jaya Shankar Shukla in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Navgeet is also popular in Poems in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story. नवगीत - नए अनुबंध ( पांच नवगीत) Dr Jaya Shankar Shukla द्वारा हिंदी कविता 2.1k 6.5k १-नई पौधनई पौधकी बदचलनी को बरगद झेल रहे, ऊँची-नीची पगडंडी पर पाँव फिसलते हैं , एक-दूसरे से मिलजुल कर कब ये चलते हैं .गुस्से की अगुवाई मे कुछ ऐसे खेल रहे . नातों की सीमाएँ केवल स्वार्थों तक जाती ...और पढ़ेलाभ कमाने की इच्छा बस अर्थों तक जाती .लाभ-हानि के चक्कर मे ये पापड़ बेल रहे . स्वाभिमान कहकर घमंड को ये इतराते हैं , परंपरा को भूल नए अनुबंध बनाते हैं . अपने मन की करने मे होते बेमेल रहे . सीख नही,इनको मनकी करनेकी छूट मिले , मेल मिले अपने कामों में या फिर फूट मिले .रहें अकेले खुश समाज मे ये तो फेल रहे. कम पढ़ें पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें नवगीत - नए अनुबंध ( पांच नवगीत) अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी फिक्शन कहानी हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी