मृग मरीचिका - 2 श्रुत कीर्ति अग्रवाल द्वारा सामाजिक कहानियां में हिंदी पीडीएफ होम किताबें हिंदी किताबें सामाजिक कहानियां किताबें मृग मरीचिका - 2 मृग मरीचिका - 2 श्रुत कीर्ति अग्रवाल द्वारा हिंदी सामाजिक कहानियां 681 2.7k - खंड-2 - देवेन्द्र भइया मेरे ताऊ जी के बेटे थे। ताऊ जी ने अपने जीवन काल में पर्याप्त संपत्ति अर्जित कर के अपने इकलौते बेटे को विरासत में दी थी। इसके अतिरिक्त देवेन्द्र भइया स्वयं अँग्रेजी हुकूमत में ...और पढ़ेबड़े अफसर थे। हजारों लोगों को वहाँ भी उनसे काम पड़ता रहता था जिसके लिए वे लोग देवेन्द्र भइया को अपने सर पर उठाकर रखते थे। ऐसी-वैसी हैसियत का कोई आदमी उनके सामने पड़ने की हिम्मत तक नहीं करता था कि ज़रा-ज़रा-सी बात पर चाबुक उठा लेना उनके लिये मामूली बात थी। जाने कितने लोग उनकी ड्योढ़ी पर केवल सलाम कम पढ़ें पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें मृग मरीचिका - 2 मृग मरीचिका - उपन्यास श्रुत कीर्ति अग्रवाल द्वारा हिंदी - सामाजिक कहानियां 2.5k 10.2k Free Novels by श्रुत कीर्ति अग्रवाल अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी उपन्यास प्रकरण हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी श्रुत कीर्ति अग्रवाल फॉलो