मुझे भी स्कूल जाना है नन्दलाल सुथार राही द्वारा नाटक में हिंदी पीडीएफ होम किताबें हिंदी किताबें नाटक किताबें मुझे भी स्कूल जाना है मुझे भी स्कूल जाना है नन्दलाल सुथार राही द्वारा हिंदी नाटक 1.6k 5.6k मुझे भी स्कूल जाना है! (बालिका शिक्षा हेतु लघु नाटक) अशरफ़ लकड़िया लेके आ रही थी । तभी गुरुजी उधर से जा रहे थे । अशरफ- नमस्कार गुरुजी। गुरुजी - नमस्कार। अरे अशरफ आज कल तुम ...और पढ़ेस्कूल क्यों नहीं आ रही हो।अशरफ- गुरुजी मैं दिन भर अपने छोटे भाई का ध्यान रखती हूं और अम्मा मुझे स्कूल नहीं आने देती है। गुरुजी- क्या तुम्हारे माता पिता घर पर ही है। अशरफ- हाँ गुरुजी। गुरुजी अशरफ के घर जाते हैं वहां अशरफ के माता पिता दोनों बैठे हुए थे । दोनो मिल कर- नमस्ते गुरुजी । गुरुजी- नमस्ते। रहमान(पिता)- क्या बात कम पढ़ें पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें मुझे भी स्कूल जाना है अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी उपन्यास प्रकरण हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी नन्दलाल सुथार राही फॉलो