स्वयं का मूल्यांकन आत्मा के संदर्भ में - भाग 1 Kamal Bhansali द्वारा मानवीय विज्ञान में हिंदी पीडीएफ होम किताबें हिंदी किताबें मानवीय विज्ञान किताबें स्वयं का मूल्यांकन आत्मा के संदर्भ में - भाग 1 स्वयं का मूल्यांकन आत्मा के संदर्भ में - भाग 1 Kamal Bhansali द्वारा हिंदी मानवीय विज्ञान 465 3.2k पंकेविर्ना सरो भाति सभा खलजनै विर्ना ।कटुवणैविर्ना काव्यं मानसं विशयैविर्ना "।।"यानी सरोवर कीचड़ रहित हो तो शोभा देता है, दुष्ट मानव न हो तो सभा, कटु वर्ण न हो तो काव्य और विषय न हो तो मन शोभा देता ...और पढ़ेहम चाहे, तो इस श्लोक को मनुष्यता की संक्षिप्त अदृश्य परिभाषा मान सकते है। ज्यादातर दर्शन के ज्ञाता कहते है, जीवन को न समझना भी जीवन है, परन्तु उनकी नादानियों से जग जीवन को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। सारा संसार आज कई तरह की मानव- नादानियों से त्रस्त हो रहा है, कहना न होगा हम भी कम पढ़ें पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें स्वयं का मूल्यांकन आत्मा के संदर्भ में - भाग 1 अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी उपन्यास प्रकरण हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी Kamal Bhansali फॉलो