Mukteshwar awakening from poetry in the Corona period - 2 book and story is written by Mukteshwar Prasad Singh in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Mukteshwar awakening from poetry in the Corona period - 2 is also popular in Poems in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
कोरोना काल में कविता से अलख जगाते मुक्तेश्वर - 2
Mukteshwar Prasad Singh
द्वारा
हिंदी कविता
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विवरण
(1) कोरोना काल में बाजार घर घर हैं बीमार कोरोना की ऐसी रफ्तार,बीच में अफवाहों का अजब गजब अवतार।कोरोना महामारी है,नहीं है की होती तकरार,एन मास्क सर्जिकल मास्क सबके सब बेकार। आक्सीजन की अस्पतालों में खूब है मारम्मार,आक्सीजन जरूरी है,सिलिंडर का हाहाकार। आक्सीमीटर,लेमुनाइजर का है बढा बाजार,आपदा में अवसर ढूंढ हो रहा काला व्यापार। धैर्य संयम दो गज की दूरी,मजबूरी नहीं जरूरीकोरोना से क्यों है डरना वैक्सीन में सुरक्षा पूरीनि:सहाय,बूढे बुजुर्गों को मदद की है दरकार,युवाओं स्वयंसेवकों पर मानव रक्षा का
कोरोना महामारी में कविताओं से अलख जगाते-मुक्तेश्वर ----बिहार में 13 मार्च को वैश्विक कोरोना महामारी की रोकथाम के लिए राज्य सरकार ने गाइड लाइन्स तय कि...
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