Udas Indradhanush - 1 book and story is written by Amrita Sinha in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Udas Indradhanush - 1 is also popular in Moral Stories in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story. उदास इंद्रधनुष - 1 Amrita Sinha द्वारा हिंदी सामाजिक कहानियां 3 2k Downloads 6.5k Views Writen by Amrita Sinha Category सामाजिक कहानियां पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें विवरण उदास इंद्रधनुष ************ रात के दस बजने वाले थे। कोमल सोने की तैयारी में लगी थी । सिरहाने पानी की बोतल रख, कमरे की बत्ती ऑफ़ करने ही वाली थीकि मोबाइल बज उठा ।तेज़ गाने वाला कॉलर ट्यून कमरे की शान्ति भंग कर रहा था।ओह! ये मोबाइल भी ना…. कोमल के माथे पर बल पड़ गए, हल्के से बुदबुदा कर उसने कहा- अब इस समय किसका कॉल हो सकता है ? सारे ज़रूरी कॉल तो आचुके हैं।पटना से माँ ने शाम को ही कॉल किया था । अमित नासिक में ऑफ़िस के काम से ज़रूरी मीटिंग में गए हैं और इस समय तोउनका कॉल आने से रहा । शोभना बिटिया से बात हो चुकी है।तो अब कौन ? कहीं कोई रांग नम्बर तो नहीं ? सोचते हुए कोमल ने साइट टेबल पर रखे चश्मे को उठाकर पहना और नाक से ऊपर सरकाते हुए पलंग के किनारे रखे मोबाइल कोअपनी ओर खींचा। चार्जर से मुक्त होकर मोबाइल अब भी लगातार घनघना रहा था। मोबाइल को सामने लाकर देखा तो स्क्रीन पर एक नाम फ़्लैश हो रहा था —— प्रभाकर चाचा ओह ! इस समय चाचा जी का कॉल?सब ख़ैरियत तो है ! मन ही मन सोचते हुए उसने कॉल रिसीव तो किया पर उधर से कोई आवाज़ नहीं आयी। हलो ,हलो करती कोमल तेज़ी से कमरे से निकलकर बॉलकनी की ओर लपकी ताकि बात हो सके पर, नेटवर्क के व्यवधान के कारणफ़ोन डिसक्नेक्ट् हो गया। कोमल ने फिर से फ़ोन लगाया तो इस बार चाचाजी की आवाज साफ़ सुनाई दी। हेलो, चाचा जी कैसे है ?कोमल ने पूछा ।ठीक हूँ कोमल बेटा, तुम लोग अच्छे तो हो ? प्रभाकर चाचा की आवाज़ थोड़ी भारी थी । और कहिए चाचा जी,कैसा चल रहा है ? इन दिनों तो बहुत ठण्ड होगी मुज़फ़्फ़रपुर में ?उधर से सिर्फ़ हाँ-हूँ की आवाज़ सुनकर कोमल ने अपनी बात जारी रखते हुए पूछा—चाचा जी , आदित्य और बहू तो वहीं मुज़फ़्फ़रपुर में ही होंगे ? हाँ बेटा , यहाँ सब ठीक है।आदि और बहु भी सानंद है ।चाचा जी ने गला खँखारते हुए कहा । यहाँ मुज़फ़्फ़रपुर में तो नवंबर के आते ही हल्की ठंड शुरू हो ही जाती है और बेटा , बुढ़ापे में ठण्ड तो कुछ ज़्यादा ही सताती है । चाचाजी ने अपनी बात ज़ारी रखते हुए कहा —बेटा कोमल, मैंने तुम्हें फ़ोन इसलिए किया था कि दरअसल, अचानक मुंबई में मेरा कुछ काम आ पड़ा है सो मैं कल मुंबई पहुँच रहा हूँ ।अब आ ही रहा हूँ तो सोचा तुम लोगों से मिल लूँ ।अमित तो हैं न वहाँ ? और बिटिया शोभना , वो कहाँ है इन दिनों ? आप ज़रूर आइए चाचा जी । हालाँकि, अमित तो ऑफिशियल टूर पर नासिक गए हैं पर कल तक निश्चय ही वापस आ जायेंगे। शोभना तो यू एस में अपनी पढ़ाई कर रही है, चाचा जी । ओह ! बहुत अच्छी बात है..फिर ज़रा रुक कर बोले की बेटा कोमल दरअसल बात ये है कि मेरा एक दोस्त पुणे के ओल्ड एज होम में है और मुझे उससे मिलने कीबहुत इच्छा है । जी, चाचाजी।कोमल के लिए प्रभाकर चाचा का मन पढ़ना बहुत मुश्किल न था , हालाँकि उन्होंने ख़ुद को पूरी तरह संयत कर रखा था फिर भी उनकीपीड़ा वायु में तरंगित होकर उसके कानों को झनझना रही थीं।—- क्रमशः Novels उदास इंद्रधनुष उदास इंद्रधनुष ************ रात के दस बजने वाले थे। कोमल सोने की तैयारी में लगी थी । सिरहाने... More Likes This बेजुबान - 1 द्वारा Kishanlal Sharma खामोशी का रहस्य - 1 द्वारा Kishanlal Sharma अकेलापन जिंदगी - 1 द्वारा Wow Mission successful सनम बेवफा - 3 द्वारा Kishanlal Sharma धोखा या इश्क - 1 द्वारा aruhi कामवासना से प्रेम तक - भाग - 5 द्वारा सीमा कपूर My Devil Hubby Rebirth Love - 23 द्वारा Naaz Zehra अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी फिक्शन कहानी हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी हिंदी क्राइम कहानी