प्रतिशोध--भाग(४) Saroj Verma द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ होम किताबें हिंदी किताबें प्रेम कथाएँ किताबें प्रतिशोध--भाग(४) प्रतिशोध--भाग(४) Saroj Verma द्वारा हिंदी प्रेम कथाएँ 516 1.1k सत्यकाम ने जैसे ही प्राँगण में प्रवेश किया तो ___ ये कैसी अवहेलना हैं, सत्यकाम! जब तुम अपने कर्तव्य का निर्वहन नहीं कर सकते तो तुम्हें उसका उत्तरदायित्व अपने हाथों में लेने का कोई अधिकार नहीं है, अब ...और पढ़ेऐसा प्रतीत होता है कि मेरा निर्णय उचित नहीं था,कदाचित तुम अभी इस योग्य नहीं हो कि इस गुरूकुल का कार्यभार तुम्हारे हाथों में सौंपा जाएं,आचार्य शिरोमणि क्रोधित होकर सत्यकाम से बोले।। आचार्य! मेरी भूल क्षमा योग्य नहीं हैं, आज मैने बिलम्ब कर दिया, समय से पूजा अर्चना में नहीं पहुँच पाया,परन्तु इसका कारण जाने बिना आप मुझ पर कम पढ़ें पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें प्रतिशोध- - उपन्यास Saroj Verma द्वारा हिंदी - प्रेम कथाएँ (60) 4.6k 10.3k Free Novels by Saroj Verma अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी उपन्यास प्रकरण हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी કંઈપણ Saroj Verma फॉलो