मुंह खुला का खुला रह गया r k lal द्वारा आध्यात्मिक कथा में हिंदी पीडीएफ होम किताबें हिंदी किताबें आध्यात्मिक कथा किताबें मुंह खुला का खुला रह गया मुंह खुला का खुला रह गया r k lal द्वारा हिंदी आध्यात्मिक कथा (24) 363 1.3k मुंह खुला का खुला रह गयाआर 0 के0 लालदीप बहुत ही संस्कारी लड़का था। उसके पापा अदावल उसकी तारीफ करते नहीं थकते थे। मन ही मन गुनगुनाते रहते, “मेरा नाम करेगा रोशन जग में मेरा राज दुलारा...”। उन्होंने उसका ...और पढ़ेभी दीप ही रखा था। जब दीप बहुत ही छोटा था तभी अदावल से उसकी पत्नी ने तलाक ले लिया था। मामला ज्यादा पेंचीदा तो नहीं था मगर एक छोटी सी बात पर रोज घर में किचकिच होती थी। उसकी पत्नी सुनन्दा उस पर बहुत शक करती थी। न जाने क्यों उसे लगता था कि अदावल उसके प्रति वफादार नहीं कम पढ़ें पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी उपन्यास प्रकरण हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी કંઈપણ r k lal फॉलो