मेरा पति तेरा पति - 5 Jitendra Shivhare द्वारा सामाजिक कहानियां में हिंदी पीडीएफ होम किताबें हिंदी किताबें सामाजिक कहानियां किताबें मेरा पति तेरा पति - 5 मेरा पति तेरा पति - 5 Jitendra Shivhare द्वारा हिंदी सामाजिक कहानियां 447 918 5 "मैं जानता हूं कि मेरे माता-पिता कल यहां आये थे। और उन्होंने तुम्हें जमकर डांटा है।" रमन ने कहा। "हां बेटा! आराधना का जीवन पहले ही कांटों से भरा है। अब तुम इसका जीना ओर मुश्किल न करो।" ...और पढ़ेने अपनी बेटी का पक्ष लिया। "नजरीये का फर्क है मांजी। मैं आराधना की राहों में फूल बिछाना चाहता हूं और आप इसे कांटों भरी डगर कह रही है।" रमन ने कहा। "कुछ भी हो! लेकिन आपको अपने माता-पिता के कहे अनुसार ही शादी करनी चाहिए।" आराधना अब शुष्क थी। "ठीक है आराधना। जिस दिन माॅम-डैड मुझसे कहेंगे की तुमसे कम पढ़ें पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें मेरा पति तेरा पति - उपन्यास Jitendra Shivhare द्वारा हिंदी - सामाजिक कहानियां (44) 5.5k 9.7k Free Novels by Jitendra Shivhare अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी उपन्यास प्रकरण हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी કંઈપણ Jitendra Shivhare फॉलो