परमहंस मस्तराम गैारीशंकर बाबा - 5 - अंतिम भाग रामगोपाल तिवारी (भावुक) द्वारा आध्यात्मिक कथा में हिंदी पीडीएफ होम किताबें हिंदी किताबें आध्यात्मिक कथा किताबें परमहंस मस्तराम गैारीशंकर बाबा - 5 - अंतिम भाग परमहंस मस्तराम गैारीशंकर बाबा - 5 - अंतिम भाग रामगोपाल तिवारी (भावुक) द्वारा हिंदी आध्यात्मिक कथा 174 885 परमहंस मस्तराम गैारीशंकर बाबा5 आस्था के चरण से मथुरा प्रसाद शर्मा जी का यह वृतान्त पढ़कर हरवार मुझे लगता है-मैं अपने इस शरीर से पृथक हूँ। इसमें मैं उसी तरह निवास कर रहा हूँ जैसे अपने बनाये घर में ...और पढ़ेके साथ रहता हूँ। ये हाथ-पैर परिवार के सदस्य की तरह है। एक दिन इस शरीर को छोड़कर चला जाऊंगा। मैं अजर-अमर हूँ। मैं कभी मरता नहीं हूँ। वस्त्र की तरह इन शरीरों को बदलता रहता हूँ। फटे वस्त्रों से तुम्हें कितना मोह रहता हैं इसी तरह इस शरीर से मोह क्यों? बाबा इस तरह जाने कैसे-कैसे ज्ञान को मेरे कम पढ़ें पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें परमहंस मस्तराम गैारीशंकर बाबा - उपन्यास रामगोपाल तिवारी (भावुक) द्वारा हिंदी - आध्यात्मिक कथा 786 4k Free Novels by रामगोपाल तिवारी (भावुक) अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी उपन्यास प्रकरण हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी કંઈપણ रामगोपाल तिवारी (भावुक) फॉलो