मृगचर्म रामगोपाल तिवारी द्वारा सामाजिक कहानियां में हिंदी पीडीएफ होम किताबें हिंदी किताबें सामाजिक कहानियां किताबें मृगचर्म मृगचर्म रामगोपाल तिवारी द्वारा हिंदी सामाजिक कहानियां 936 8.5k कहानी मृगचर्म विपिन के पिता ...और पढ़ेवर्मा ऑफिस से लौटते समय एक कलेन्डर लेकर आये। विपिन ने चित्र देखने की उत्सुकता में वह उनके हाथ से ले लिया। उसे खोला। देखा-चित्र में व्याघ्र-चर्म पर शंकर जी समाधिस्थ बैठे हैं। उसे याद हो आई बचपनकी जब पिताजी के दैनिक पूजा-पाठ में उपयोग आने वाले व्याघ्र-चर्म बिछाकर वह भी उनकी तरह उस पर पालथी मारकर पूजा करने बैठ गया था। यह देखकर रामनाथ ने पत्नी विजया से खिलखिलाकर हंसते हुए कहा था-’देखा! हमारा लाङला कैसी समाधी लगाए बैठा है।’ उसे किसीकी नजर न लग जाये इसलिये वह कम पढ़ें पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें मृगचर्म अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी फिक्शन कहानी हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी रामगोपाल तिवारी फॉलो