Master ji ka chashma book and story is written by SAMIR GANGULY in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Master ji ka chashma is also popular in Children Stories in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
मास्टर जी का चश्मा
SAMIR GANGULY
द्वारा
हिंदी बाल कथाएँ
1.उस रात खूब जमकर बारिश हुई थी. सुबह होते ही यह खबर सारे मोहल्ले में फैलगयी कि मास्टर अयोध्या प्रसाद गोसाई अब नहीं रहे. जब गोकुल ने यह सुना तोउसे लगा कि कानों ने गलत सुना है. हालांकि गोसाई ...और पढ़ेपिछले तीन वर्षों सेदमे के मरीज थे, उम्र भी दस का पहाड़ा सात बार पढ़ चुकी थी. इस पर भीगोकुल को यकीन न आता था कि मास्टर जी इतनी जल्दी टें बोल जाएंगे.जिस दिन से गोकुल ने मास्टर जी का सुनहरे फ्रेम का मोटे शीशों वाला चश्माचुराया था, उस दिन से उसे यही डर सताता आया था कि एक दिन मास्टर जीउसकी यह हरकत जान जाएंगे और फिर अपना डंडा फटकारते हुए कुर्ते की बाजूचढ़ाकर पीटते-पीटते उसकी पीठ को ढोल बना डालेंगे.***मास्टर जी के घर के सामने काफी भीड़ थी. लोग चुपचाप उदास चेहरा लटकाएबैठे थे. अर्थी सजाई जा रही थी. मास्टर जी के मरते ही उनका ज्ञानेश्वर महत्त्वहीनहो गया था और इस समय वह तुलसी के बिरवे के नीचे चुपचाप पड़ा था. मास्टरजी अपनी छड़ी को ज्ञानेश्वर कहते थे. लेकिन आज अचानक ही मास्टर जी केसाथ-साथ ज्ञानेश्वर जी भी स्वर्गवासी हो गए थे. लेकिन उस चश्मे के लिए मास्टरजी काफी दिन पहले ही स्वर्गीय हो चुके थे. हां, अब गोकुल की भी मनोकामनापूरी हो जाएगी. एक दिन वह मास्टर जी का चश्मा पहनकर पूरे बाजार में घूमेगाऔर देखेगा इस दुनिया को, इस बाजार को, एक-एक प्राणी को... मास्टर जी केचश्मे से!रोज की तरह ही उसने चौक बाजार में हलवाई को गरम जलेबियां तलते देखा. और तब उसे हमेशा की तरह जेब में पैसे न होने का दु:ख हुआ, इस दु:ख को भूलनेके लिए या फिर ललचाई आंखों को मोटे हलवाई की नज़र से बचाने के वास्तेउसने आंखों पर चश्मा लगा लिया. लेकिन यह क्या! चश्मा लगाते ही जैसे दुनियाबदल गई. यहां तक कि वह स्वयं में भी एक बदलाव महसूस करने लगा. कहांगया हलवाई का जलेबी का कड़ाहा और वे लाल-लाल जलेबियां? ये तो कीचड़में कीड़े-मकोड़े बिलबिलाते नज़र आ रहे हैं, और वह दूध? वह साफ देख रहा हैउसमें तैरते हुए ब्लाटिंग पेपर के छोटे-छोठे टुकड़े. डालडे की जगह चर्बी. क्या येमिठाइयां है? उससे रहा न गया, हलवाई की दुकान के सामने जाकर वह जोर सेचिल्लाया, ‘‘ बंद करो यह जहर बनाना! समाज के दुश्मन, तुम्हें शर्म नहीं आती?’’ मिठाई खाते लोग चौंक गए.‘‘ क्या बकते हो बेवकूफ?’’ हलवाई गुर्राया.‘‘ क्यों, क्या सबको बताना पड़ेगा कि तुम वनस्पति घी में चर्बी और दूध मेंब्लाटिंग पेपर मिलाते हो?’’ उसने कहा.‘‘ किसने देखा है?’’‘‘मैंने-मास्टर अयोध्या प्रसाद गोसाई ने.’’‘‘लेकिन तुम तो गोकुल हो. मधु बाबू के लड़के!’’ हलवाई ने उसे झकझोरते हुएकहा.उसे भी लगा कि शायद वह गोकुल ही है. दुविधा में पड़ते हुए उसने चश्मा उतारा. चश्मा उतारते ही दुनिया दूसरे रूप में थी -वही पहले वाली. हां, अब लोग हलवाईकी मिठाइयों को ठोकर मारते हुए. ‘थू-थू’ करते हुए दुकान से बाहर निकल रहे थे.हाल ही में जो कुछ हुआ, उस पर उसे आश्चर्य हो रहा था. ‘तो क्या यह चश्मापहन लेने से मैं सबको मास्टर जी की नज़र से देखने लगा था!’ गोकुल न सोचा, चलो अगर ऐसा है, तो है तो बड़ा विचित्र, किंतु बुरा नहीं. इस कमबख्त मास्टर कोबड़ा घमंड था कि खूब जमाना देखा है. चलो, अब हमें दिखाते चलो कि तुमनेक्या-क्या देखा था. लो वह अपने गज्जू दादा आ रहे हैं.’‘‘ क्यों बेटे? कितने पैसे चुराए बाप के, सिनेमा देखने के लिए?’’ उसके मुंह सेनिकला.और जवाब में एक करारा घूंसा आया. चश्मा चुपचाप उठा लिया और चश्मे कीविशेषता गज्जू दादा को बताए बिना माफी मांगते हुए आगे बढ़ गया. कुछ आगेजाकर उसने फिर चश्मा आंखों पर लगा लिया.‘यह शायद कमल आ रहा है, बैरिस्टर नेमचंद का लड़का. बड़े दु:ख की बात है किबिल्कुल बाप जैसा निकल रहा है. पिछले साल पत्थर मार कर झाड़ी में ऐसाछिपा, जैसे मैं पहचान ही नहीं पाऊंगा. लेकिन इसे क्या पता कि मैं कितना तेजदेखता हूं. यह मूर्ख तो यह भी नहीं जानता होगा कि जब इसके बाप ने कबूतरमारते समय मेरे एकमात्र बच्चे को गोली से भून दिया था, तब भी मैं उसको पहचानगया था. वह तो आज तक यह समझता है कि वह सफाई से भागा था. मैंने उसे भीमाफ कर दिया है.’ चश्मा लगाकर देखते हुए गोकुल के मन में आया.‘‘क्यों बे, यह चश्मा किसका मारा है?’’कहते हुए कमल ने गोकुल का चश्मा उतारलिया.कमल से चश्मा वापस लेते हुए गोकुल ने कहा, ‘‘ कमल गोसाई मास्टर जानते थेकि तुमने ही उनका सिर फोड़ा था. वे यह भी जानते थे कि तुम्हारे पिता ने उनकेबच्चे का खून किया था. ’’‘‘ क्या बकते हो?’’ कमल चिल्लाया.‘‘ चिल्लाओ मत, अपने पिताजी से पूछना. ’’ गोकुल ने निश्चित भाव से कहा. ‘‘ ठीक है. अगर यह बात गलत हुई तो मैं तुम्हें कच्चा चबा डालूंगा.’’ यह कहकरकमल उल्टे पैर लौट गया.‘गोसाई मास्टर, मुझे तुम पर दया भी आती है,’ गोकुल सोचने लगा, ‘लेकिन तुमथे पूरे जल्लाद. मेरी पीठ पर तो तुमने कई नक्शे ही खींच डाले हैं. तुम्हारा वशचलता तो शायद तुम मुझे पहाड़े याद न करने की सजा से फांसी ही दे देते. लेकिनतुम आखिर मेरे बारे में क्या सोचते थे?’और गोकुल लौट पड़ा. घर पहुंच कर वह आईने के सामने जा खड़ा हुआ. मास्टजीका चश्मा लगाते ही उसके मन में फिर विचार आने लगे-‘लो इस शैतान ने आजफिर कंघी नहीं की है. मधु बाबू का यह लाडला छोकरा बुरी संगति में पड़ता जारहा है. लेकिन मैं इसे हर हालत में बचाउंगा, मेरा निश्चय है कि इसे कुछ न कुछबनाकर ही रहूंगा. बेचारे को पीटते हुए बड़ा दु:ख होता है. न जाने क्या सोचताहोगा मेरे बारे में? काश! यह समझ पाता कि इसको एक छड़ी मारते हुए मेरे सीनेपर एक कील ठक से गड़ जाती है. न जाने क्यों, जब इसे देखता हूं मुझे अपनेबच्चे की याद आ जाती है. जी चाहता है इसे खूब प्यार करूं. मैंने चाहा था किमेरा बच्चा बड़ा होकर एक डॉक्टर बने. अब मेरी यही इच्छा है कि गोकुल एकडॉक्टर बने. इसके लिए सारा खर्चा भी मैं ही दूंगा.’‘‘ क्यों रे गोकुल? इतनी देर से आइने के सामने खड़ा क्या कर रहा है?’’ मां कीआवाज कमरे में गूंजी.‘गोकुल’ नाम सुनकर वह चौका. फिर उसने चश्मा उतारा और मास्टर जी के बारेमें सोचने लगा. उसकी आंखों में आंसू भर आए. वह रो उठा: ‘मास्टर जी, तुम बहुतभोले थे. तुमने जिसे सिर पर बैठाना चाहा, वही तुम्हें ठोकर मारने का मौकातलाशता रहा. लेकिन निराश मत होना. तुम्हारी आशाओं को पूरा करने कीगोकुल हर कोशिश करेगा. मास्टर जी मुझे आशीर्वाद देना.’ गोकुल ने उदासआंखों से चश्मे को देखा, और फिर उसे पूरी इज्जत से किताबों की अलमारी मेंरख दिया. कम पढ़ें