parai book and story is written by Dimple Gaur in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. parai is also popular in Short Stories in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story. पराई डिम्पल गौड़ द्वारा हिंदी लघुकथा 7 1.9k Downloads 8.3k Views Writen by डिम्पल गौड़ Category लघुकथा पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें विवरण मायके आए हुए मुझे पूरे दस दिन हो चुके थे.पति विशाल से फोन पर बातचीत करने के बाद उठी ही थी कि देखा,माँ अपना बक्सा खोले बैठी है. बक्से के खुलते ही एक चिर-परिचित भीनी सुगन्ध से सुवासित हो उठा था पूरा घर !छोटे से रेलवे क्वाटर में रहते हुए मैंने माँ,बाबा और बिट्टू के साथ अपने बचपन के वो सुनहरे दिन गुजारे थे.पूरे दिन हम दोनों भाई- बहनों की धमा चौकड़ी! और शोर शराबे से गुलज़ार रहता था हमारा वो पुराना घर. माँ बक्से में सहेजकर रखी वस्तुओं को बाहर निकालती जा रही थी."अरे कुन्नू ! देख तेरी गुड़िया !" More Likes This नेताजी की गुप्त फाइलें - भाग 1 द्वारा Shailesh verma पायल की खामोशी द्वारा Rishabh Sharma सगाई की अंगूठी द्वारा S Sinha क्या यही है पहला प्यार? भाग -2 द्वारा anmol sushil काली किताब - भाग 1 द्वारा Shailesh verma Silent Desires - 1 द्वारा Vishal Saini IIT Roorkee (अजब प्रेम की गज़ब कहानी) - 2 द्वारा Akshay Tiwari अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी फिक्शन कहानी हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी हिंदी क्राइम कहानी