wo baarah ghante ka pasina book and story is written by AKANKSHA SRIVASTAVA in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. wo baarah ghante ka pasina is also popular in Short Stories in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story. वो बारह घण्टे का पसीना AKANKSHA SRIVASTAVA द्वारा हिंदी लघुकथा 1 2.3k Downloads 7.3k Views Writen by AKANKSHA SRIVASTAVA Category लघुकथा पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें विवरण जमीन जल चुकी आसमा बाकी है सूखे हुए कुएं तुम्हारा इम्तिहान बाकी है, ऐ- बादल बरस जाना इस बार भी समय पर किसी का मकान गिरवी तो किसी की लगन फीकी है, टपकते है छत उसके कच्चे इमारतों के फिर भी वो करता है दुआ बारिशो के आ जाने की। कृषि प्रधान देश में आज आधी से भी कम आधी आबादी किसानी कर रहे है। आधुनिकता और भौतिकवाद ने आज हमें अपने शिकंजों में कस लिया है। आधी आबादी गाँव खेती से दूर शहरों के उन ऊँची इमारतों में बस रहे। दिन रात चकाचौंध में खट रहे। अठारह अठारह घण्टे More Likes This My Devil Hubby Rebirth Love - 46 द्वारा Naaz Zehra अकेलापन द्वारा Kahani Sangrah मझली दीदी द्वारा S Sinha बुजुर्गो का आशिष - 2 द्वारा Ashish नो मोर अभी नहीं द्वारा S Sinha शैतान का कुचक्र - 1 द्वारा LM Sharma सारथी द्वारा LOTUS अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी फिक्शन कहानी हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी हिंदी क्राइम कहानी