Jivan sathi book and story is written by Kusum in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Jivan sathi is also popular in Short Stories in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story. जीवन - साथी Kusum द्वारा हिंदी लघुकथा 6.1k 2.4k Downloads 17.6k Views Writen by Kusum Category लघुकथा पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें विवरण "उनकी सूनी-सूनी आंखें बार बार दरवाजे पर जाकर लौट आती।" मन मैं अजीब सी बैचैनी महसूस कर रहे थे। लेकिन उन्हें यह समझ नही आ रहा था, कि ऐसा क्यों हो रहा है। बहू जाते - जाते नाश्ता बनाकर रख गई थी। लेकिन उन्होंने उसे देखा तक नही। वह लगभग 86 वर्ष के बुजुर्ग थे। पूरा चेहरा झुर्रियों से भरा हुआ था। बाल हिम की तरह सफ़ेद हो गए थे। यहां तक कि भौंहों के बाल भी सिर के बालों से अपना तालमेल बना रहे थे। हाथ-पैर भी कांपने लगे थे। मुंह मे में दांत न होने के कारण होंठ More Likes This नौकरी द्वारा S Sinha रागिनी से राघवी (भाग 1) द्वारा Asfal Ashok अभिनेता मुन्नन द्वारा Devendra Kumar यादो की सहेलगाह - रंजन कुमार देसाई (1) द्वारा Ramesh Desai मां... हमारे अस्तित्व की पहचान - 3 द्वारा Soni shakya शनिवार की शपथ द्वारा Dhaval Chauhan बड़े बॉस की बिदाई द्वारा Devendra Kumar अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी फिक्शन कहानी हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी हिंदी क्राइम कहानी