दो बाल्टी पानी - 23 Sarvesh Saxena द्वारा हास्य कथाएं में हिंदी पीडीएफ होम किताबें हिंदी किताबें हास्य कथाएं किताबें दो बाल्टी पानी - 23 दो बाल्टी पानी - 23 Sarvesh Saxena द्वारा हिंदी हास्य कथाएं 477 1.2k गुप्ता जी ने पिंकी की ओर घूरकर देखा और बोले “ अरे पिंकिया का जरूरत थी ऐसी आंधी पानी में पानी भरने की वह भी अंधेरे में, अरे हमें तो लगता है तूने जान बूझकर छोटी कटवाई, और तो ...और पढ़ेतू चोटी कटवाने ही बहाना बना कर गई होगी” | गुप्ता जी की बेतुकी बातों का लावा फूट फूटकर बाहर आ रहा था, जिसे सुनकर गुप्ताइन के अंदर का ज्वालामुखी फटा पढ़ रहा था | गुप्ताइन कुछ कहने को हुंई तो गुप्ता जी फिर फूट पड़े “ अरे कुछ मत बोलो... हम कहते हैं कुछ मत बोलो, बहुत सुन लिये कम पढ़ें पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें दो बाल्टी पानी - उपन्यास Sarvesh Saxena द्वारा हिंदी - हास्य कथाएं (439) 49.9k 79.2k Free Novels by Sarvesh Saxena अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी उपन्यास प्रकरण हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी કંઈપણ Sarvesh Saxena फॉलो