Manvta ke dagar pe book and story is written by Shivraj Anand in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Manvta ke dagar pe is also popular in Poems in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story. मानवता के डगर पे Shivraj Anand द्वारा हिंदी कविता 1 1.3k Downloads 6.4k Views Writen by Shivraj Anand Category कविता पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें विवरण प्यारे तुम मुझे भी अपना लो ।गुमराह हूं कोई राह बता दो।युं ना छोडो एकाकी अभिमन्यु सा रण पे।मुझे भी साथले चलो मानवताकी डगर पे।।वहां बडे सतवादी है।सत्य -अहिंसाकेपुजारी हैं।।वे रावण के अत्याचार को मिटा देते हैं।हो गर हाहाकार तो सिमटा देते है।।इस पथ मे कोई जंजीर नही जो बांधकर जकड सके।पथ मे कोई विध्न नही जो रोककर अ क ड सके।।है ऐ मानवता की डगर निराली।जीत ले जो प्रेम वही खिलाडी।।यहां मजहब न भेदभाव,सर्व धर्म समभाव से जिया ...है।वक्त आए तो More Likes This मी आणि माझे अहसास - 98 द्वारा Darshita Babubhai Shah लड़के कभी रोते नहीं द्वारा Dev Srivastava Divyam जीवन सरिता नोंन - १ द्वारा बेदराम प्रजापति "मनमस्त" कोई नहीं आप-सा द्वारा उषा जरवाल कविता संग्रह द्वारा Kaushik Dave मेरे शब्दों का संगम द्वारा DINESH KUMAR KEER हाल ए दिल द्वारा DINESH KUMAR KEER अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी फिक्शन कहानी हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी हिंदी क्राइम कहानी