दो बाल्टी पानी - 16 Sarvesh Saxena द्वारा हास्य कथाएं में हिंदी पीडीएफ होम किताबें हिंदी किताबें हास्य कथाएं किताबें दो बाल्टी पानी - 16 दो बाल्टी पानी - 16 Sarvesh Saxena द्वारा हिंदी हास्य कथाएं 639 1.5k ठकुराइन ने मिश्राइन के घर का दरवाजा खटखटाते हुए कहा, "अरे मिश्राइन… खोलो ठकुराइन बोल रहे हैं, नंदू जो अभी जाकर बिस्तर पर सही से लेट भी नहीं पाया था, वह न चाहते हुए भी दरवाजा खोलने उठकर आया, ...और पढ़ेऊपर छत पर चारपाई डालकर खर्राटे लगा रहे थे, नंदू दरवाजा खोलते ही बोला," कुंडी लगा देना ताई जी" और नंदू जाकर लेट गया | मिश्राइन लेटी थी, ठकुराइन को देखा तो उठ कर बैठ गई और बोली, "आओ जीजी.. कहो कैसी हो? इत्ती रात को फुर्सत मिली"?ठकुराइन आवाज को दबाते हुए बोलीं, "अरे मिश्राइन हमारी छोड़ो, तुम बताओ कैसी कम पढ़ें पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें दो बाल्टी पानी - उपन्यास Sarvesh Saxena द्वारा हिंदी - हास्य कथाएं (442) 51.6k 83.5k Free Novels by Sarvesh Saxena अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी उपन्यास प्रकरण हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी કંઈપણ Sarvesh Saxena फॉलो