बहीखाता - 47 - अंतिम भाग Subhash Neerav द्वारा जीवनी में हिंदी पीडीएफ होम किताबें हिंदी किताबें जीवनी किताबें बहीखाता - 47 - अंतिम भाग बहीखाता - 47 - अंतिम भाग Subhash Neerav द्वारा हिंदी जीवनी 1.3k 5.2k बहीखाता आत्मकथा : देविन्दर कौर अनुवाद : सुभाष नीरव 47 मलाल बहुत सारी ख्वाहिशें थी ज़िन्दगी में। जैसे कि गालिब कहता है कि हर ख्वाहिश पे दम निकले। बहुत सारी ख्वाहिशें अधूरी ही रह गईं। ज़िन्दगी में एक ऐसा ...और पढ़ेभी आया कि मेरी एक ख्वाहिश सबसे ऊपर आ गई और बाकी की ख्वाहिशें दोयम दर्जे पर जा पड़ीं। यह ख्वाहिश थी, अपनी माँ की सेवा करना। मेरी माँ ने बहुत दुख देखे थे। बहुत तकलीफ़ों भरी ज़िन्दगी जी थी। पिता के मरने के बाद वह पिता भी बनी थी और माँ भी। उसने मौतें भी बहुत देखी थीं। अपने कम पढ़ें पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें बहीखाता - 47 - अंतिम भाग बहीखाता - उपन्यास Subhash Neerav द्वारा हिंदी - जीवनी (143) 63.5k 238.7k Free Novels by Subhash Neerav अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी फिक्शन कहानी हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी Subhash Neerav फॉलो