दो बाल्टी पानी - 13 Sarvesh Saxena द्वारा हास्य कथाएं में हिंदी पीडीएफ होम किताबें हिंदी किताबें हास्य कथाएं किताबें दो बाल्टी पानी - 13 दो बाल्टी पानी - 13 Sarvesh Saxena द्वारा हिंदी हास्य कथाएं (22) 806 1.3k करीब घंटे भर बाद मिश्राइन और वर्माइन का नंबर आया, दोनों ने अपनी-अपनी बाल्टी भरी और मुंह लटकाए घर की ओर चली आईं |मिश्राइन(घूंघट को नीचे की ओर खिंचते हुए) -" गांव के मर्दों को तो जैसे कोई लाज ...और पढ़ेही नहीं है, अरे हम जनानी पानी भरने जाए तो इन मुश्तअंडों को नहाता हुआ देखें" |वर्माइन - "सही कहती हो बहन, बड़े निर्लज्ज है ये पर क्या करें मरना जुझना तो है ही हमें" |दोनों औरतें अपनी भड़ास गांव के मर्दों को कोसकर निकालते हुए अपने-अपने घर पहुंचती हैं |" लल्ला… रे लल्ला…" सरला सुनील को आवाज देती है कम पढ़ें पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें दो बाल्टी पानी - उपन्यास Sarvesh Saxena द्वारा हिंदी - हास्य कथाएं (439) 49.9k 79.2k Free Novels by Sarvesh Saxena अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी उपन्यास प्रकरण हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी કંઈપણ Sarvesh Saxena फॉलो