ज़िन्दगी गले लगा ले तू Mukteshwar Prasad Singh द्वारा कविता में हिंदी पीडीएफ होम किताबें हिंदी किताबें कविता किताबें ज़िन्दगी गले लगा ले तू ज़िन्दगी गले लगा ले तू Mukteshwar Prasad Singh द्वारा हिंदी कविता 297 819 जिन्दगी गले लगा ले तूख़ामोशी के आग़ोश में समाती दुनियाँ कहीं माँ -बाप तो कहीं कराहती मुनियांराष्ट्रीय नहीं अन्तर्राष्ट्रीय भय सिसकियाँ देश देश लांघती मौत से लड़ती ज़िन्दगियाँ हर चेहरे के ख़्वाब हो रहे तार तार,वायरस की मार चारों ...और पढ़ेहाहाकार।आदमी की जान संग लुढ़का बाज़ार,दवा की खोज और मंदी की ललकार। सरकारें परेशान ,मिला भारत का उपहार,बीमारी से बचाव में काम आया "नमस्कार"। (२) जीनाकोरोना कोरोना ,छूओ ना छूओ नासबको है जीना ,सबको है जीना!कैसी तेरी हरकत ,मौत से डरो ना।अपनों से अपनों को, दूर करो ना।बडे बेरहम हो ,बड़े बेशर्म हो छोटे बड़ों के ,नाकों में दम हो।ओ कम पढ़ें पढ़ें पूरी कहानी सुनो मोबाईल पर डाऊनलोड करें अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी उपन्यास प्रकरण हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी કંઈપણ Mukteshwar Prasad Singh फॉलो