hai re vigyapan book and story is written by Dr. Narendra Shukl in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. hai re vigyapan is also popular in Comedy stories in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story. हाय रे विज्ञापन ! Dr Narendra Shukl द्वारा हिंदी हास्य कथाएं 2.2k Downloads 9.9k Views Writen by Dr Narendra Shukl Category हास्य कथाएं पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें विवरण मैं श्री कृष्ण का शुद्ध भक्त हूँ । प्रतिदिन सुबह - सुबह मंदिर अवश्य जाता हूँ । मंदिर जाने से दिल और दिमाग दोनों पवित्र हो जाते हैं । बीते दिन के पाप धुल जाते हैं । तन और मन पुनः ‘माया‘ का आलिंगन करने के लिये आतुर हो जाता है । आफिस जाकर ‘माल ‘ की तलाश में फाइलें दबाने को मन ललकता है । लेकिन , डाक बाबू के पेशे में माल कहां ! आयकर या उत्पाद शुल्क अधिकारी होता तो बात अलग थी । यहां तो महीने की पच्चास आते - आते चार-पाच हज़ार की उधारी हो जाती More Likes This मैं मंच हूँ द्वारा Dr Mukesh Aseemit प्यार बेशुमार - भाग 8 द्वारा Aarushi Thakur राज घराने की दावत..... - 1 द्वारा pooja कॉमेडी कहानी 3 दोस्तों की - 1 द्वारा Roshan baiplawat समानांतर दुनिया - 1 द्वारा Mansi बाबू जी की मुक्त शैली पिटाई - 1 द्वारा संदीप सिंह (ईशू) चरणनंदन का अभिनंदन - 1 द्वारा Tripti Singh अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी फिक्शन कहानी हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी हिंदी क्राइम कहानी