Kitab book and story is written by Kirdar in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Kitab is also popular in Poems in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story. किताब Dhruvin Mavani द्वारा हिंदी कविता 3 1.5k Downloads 5.6k Views Writen by Dhruvin Mavani Category कविता पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें विवरण दुनिया सिर्फ कहती नही जनाब ,वो अक्सर कहती रहती है यहाँ लकड़े कहाँ ;सिर्फ़ लड़कियाँ ही तो सहती रहती है ...हम तुमसे अनजान थे अब तो वो समा ही बेहतर लगता है ,तेरा मुझे जानकर भी अनजान बनना मुझे कितना खटकता है ...ए वक्त तू भी क्या खेल खेलता है हर बार मिलाकर हमें बिछड़ना सिखाता है कुछ लम्हे सुकून के देता तो है मगरफिर आँसू की बहार भी क्या कम देता है ! ए वक्त तू भी क्या खेल खेलता है ...हर पल मैं शिकायत वक़्त से यही करता हूँ कि बिता हुआ आज ,कल फिर क्यूँ नही आता ...जी लो इन आखिरी लम्हों को आखिरी बार फिर More Likes This मी आणि माझे अहसास - 98 द्वारा Darshita Babubhai Shah लड़के कभी रोते नहीं द्वारा Dev Srivastava Divyam जीवन सरिता नोंन - १ द्वारा बेदराम प्रजापति "मनमस्त" कोई नहीं आप-सा द्वारा उषा जरवाल कविता संग्रह द्वारा Kaushik Dave मेरे शब्दों का संगम द्वारा DINESH KUMAR KEER हाल ए दिल द्वारा DINESH KUMAR KEER अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी फिक्शन कहानी हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी हिंदी क्राइम कहानी